सोने का सुनहरा उछाल: कीमतें आसमान पर, लेकिन भारत में घटी मांग

2025 में सोने के बाजार ने दुनिया को हैरान कर दिया है। साल की शुरुआत से अब तक सोने की कीमतों में 50% से अधिक की तेजी आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना अब $4,000 प्रति औंस को पार कर चुका है — जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है। निवेशक इसे “गोल्ड रश 2.0” कह रहे हैं। हालांकि, इस रिकॉर्ड उछाल के बावजूद, भारत में सोने की घरेलू मांग घटने लगी है, जो एक चौंकाने वाला ट्रेंड है।

SBI रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की नई रिपोर्ट “Coming of (A Turbulent) Age: The Great Global Gold Rush” के मुताबिक, भू-राजनीतिक तनाव, कमजोर अमेरिकी डॉलर और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने सोने की कीमतों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सोने की होल्डिंग्स 880 टन तक पहुंच चुकी हैं, जिनकी कीमत अब $27 बिलियन (लगभग ₹2.25 लाख करोड़) हो गई है। जबकि पिछले वित्त वर्ष (FY25) में यह मूल्य $25 बिलियन था।

सरकार को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से बड़ा नुकसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की नीतियां लंबे समय से लोगों को भौतिक सोने की खरीदारी से दूर कर निवेश आधारित योजनाओं की ओर ले जाने की कोशिश करती रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना। लेकिन अब यह योजना सरकार के लिए नुकसान का सौदा साबित हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार को इस योजना से अब तक ₹93,284 करोड़ का पूंजी घाटा हो चुका है। अगर सोने की कीमतें और बढ़ीं, तो यह घाटा और गहरा हो सकता है। SBI ने सुझाव दिया है कि भारत को अब अपनी राष्ट्रीय सोना नीति (National Gold Policy) तैयार करनी चाहिए ताकि सोने के उपयोग और निवेश को बेहतर संतुलित किया जा सके।

RBI को फायदा, लेकिन आम लोगों की जेब पर असर
जहां RBI के लिए सोने का यह उछाल फायदे का सौदा साबित हो रहा है, वहीं आम उपभोक्ता और ज्वेलरी कारोबारी दबाव में हैं। महंगे सोने के चलते ज्वेलरी की बिक्री में भारी गिरावट आई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही में भारत की कुल सोने की मांग में 16% की कमी और गहनों की बिक्री में 31% की गिरावट दर्ज की गई है।

भारत अब भी सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता
मांग में गिरावट के बावजूद, भारत अब भी चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता देश बना हुआ है। 2024 में देश की कुल मांग 802.8 टन रही थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कीमतें लंबे समय तक ऊंची रहीं, तो यह घरेलू उपभोग पर स्थायी असर डाल सकती हैं।

सोने की चमक के पीछे की वजहें
रिपोर्ट में बताया गया है कि सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, युद्ध की आशंका, डॉलर की कमजोरी और सुरक्षित निवेश की चाह प्रमुख कारण हैं। दुनिया भर में निवेशक अब स्टॉक्स और क्रिप्टो की बजाय सोने को ज्यादा भरोसेमंद निवेश मान रहे हैं।

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