रियल एस्टेट सेक्टर की बड़ी कंपनी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (Jaypee Infratech Ltd) एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामले में कंपनी के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को गिरफ्तार किया है। ईडी का कहना है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के जरिए करीब 12,000 करोड़ रुपये की वित्तीय हेराफेरी की गई, जिसमें घर खरीदारों की रकम का भी गलत इस्तेमाल हुआ।
मई में हुई थी छापेमारी
ईडी ने इस कार्रवाई से पहले मई 2025 में जेपी ग्रुप की कई कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत छापे मारे थे। उस दौरान दिल्ली, मुंबई समेत 15 ठिकानों पर तलाशी ली गई थी।
अधिकारियों के मुताबिक, इस दौरान 1.70 करोड़ रुपये की नकदी, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और बैंक रिकॉर्ड जब्त किए गए थे। यह पूरी जांच जेपी इंफ्राटेक और जयप्रकाश एसोसिएट्स से जुड़ी कथित वित्तीय गड़बड़ियों से संबंधित है।
खरीदारों के पैसे से हुई गड़बड़ी
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी ने अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में खरीदारों से जो रकम वसूली, उसे निर्माण कार्य में लगाने की बजाय दूसरी कंपनियों या परियोजनाओं में ट्रांसफर कर दिया।
इससे न केवल निवेशकों के पैसे का गलत इस्तेमाल हुआ, बल्कि हजारों घर खरीदारों के सपने भी अधूरे रह गए। ईडी का आरोप है कि ये पूरा मामला संगठित वित्तीय धोखाधड़ी और फंड डायवर्जन का है, जिसमें कई स्तरों पर गड़बड़ी की गई।
पुराना विवाद, नए मोड़
जेपी इंफ्राटेक से जुड़ा विवाद कई सालों से जारी है। साल 2017 में जब कंपनी अपने वादे पूरे करने में विफल रही, तो खरीदारों ने विरोध शुरू कर दिया था। इसके बाद कई एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें आरोप था कि कंपनी ने घर खरीदारों के पैसे का उपयोग अन्य प्रोजेक्ट्स में किया।
कई वर्षों से चल रहे इस विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है, क्योंकि ईडी की गिरफ्तारी से जांच और गहरी होने की संभावना है।
आगे की जांच पर सबकी नजर
मनोज गौड़ की गिरफ्तारी के बाद अब ईडी यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि यह फंड ट्रांसफर किन खातों और कंपनियों तक गया। एजेंसी मनोज गौड़ से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश करेगी कि पूरे फाइनेंशियल नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल था।
वहीं, घर खरीदारों को उम्मीद है कि अब जांच आगे बढ़ने से उनके अटके हुए प्रोजेक्ट्स पर कोई ठोस कदम उठाया जा सकेगा।