पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य सरकार ने मार्च 2022 से अब तक कुल 19 टोल प्लाज़ा बंद कर दिए हैं। सरकार का कहना है कि इससे आम जनता को हर दिन करीब ₹65 लाख की बचत हो रही है, यानी साल भर में लगभग ₹225 करोड़ रुपए लोगों की जेब में बच रहे हैं। यह फैसला आम जनता को आर्थिक रूप से राहत देने के साथ-साथ भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रतीक भी है।
‘टोल लूट’ पर लगी रोक
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि पंजाब में सड़कों पर चल रही “खुली लूट” अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि कई टोल कंपनियां सालों से अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं कर रही थीं—सड़क रखरखाव नहीं कर रही थीं, सरकारी रॉयल्टी जमा नहीं कर रही थीं और गलत तरीके से विस्तार ले रही थीं। इन मामलों में सरकार ने सीधे एक्शन लेते हुए कई टोल प्लाज़ा बंद कर दिए।
सख्त रवैया, अनुबंध उल्लंघन पर कार्रवाई
मान सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी टोल ऑपरेटर अनुबंध की शर्तों की अवहेलना करेगा, उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। जिन टोल कंपनियों ने सड़क रखरखाव में लापरवाही बरती या सरकार को बकाया राशि नहीं दी, उनके अनुबंध रद्द कर दिए गए। कुछ टोल इसलिए भी बंद हुए क्योंकि उनका कार्यकाल खत्म हो चुका था और सरकार ने उन्हें आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया।
2022 से शुरू हुआ ‘टोल फ्री पंजाब’ मिशन
इस अभियान की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई जब संगरूर-लुधियाना रोड पर लड्डा और अहमदगढ़ टोल प्लाज़ा बंद किए गए। इसके बाद होषियारपुर-टांडा रोड पर लछोवाल टोल प्लाज़ा भी बंद कर दिया गया। यहां सरकार ने न केवल अनुबंध खत्म किया बल्कि कंपनी पर फंड डायवर्जन के आरोप में एफआईआर भी दर्ज करवाई।
2023 में और तेज हुई कार्रवाई
साल 2023 में यह अभियान और तेज हुआ। कीरतपुर साहिब-नंगल रोड पर नक्कियां टोल बंद किया गया, जहां ऑपरेटर ने सड़क निर्माण में 1,093 दिन की देरी की थी और ₹67 करोड़ का जुर्माना बकाया था। इसी साल मोगा-कोटकपूरा रोड पर सिंहांवाला टोल भी बंद किया गया, जहां कंपनी पर ₹3.89 करोड़ का बकाया था, जिसे पिछली सरकारों ने नज़रअंदाज़ किया था।
2024-25 में जारी रही सख्ती
2024 में लुधियाना-बर्नाला हाइवे पर रक्बा और महल कलां टोल प्लाज़ा बंद किए गए। हाल ही में, अक्टूबर 2025 में जगराओं-नकोदर टोल प्लाज़ा को अनुबंध समाप्त होने से 18 महीने पहले ही बंद कर दिया गया। कारण — कंपनी ने सड़क मरम्मत और रॉयल्टी भुगतान की शर्तों का पालन नहीं किया।
लाखों यात्रियों को रोज़ राहत
इन सभी बंद टोल प्लाज़ाओं से अब तक 590 किलोमीटर सड़कें टोल-फ्री हो चुकी हैं। इससे किसानों, व्यापारियों, विद्यार्थियों और आम यात्रियों को प्रतिदिन लाखों रुपए की बचत हो रही है। 2023 में जब 10 टोल बंद हुए थे, तब रोज़ की बचत ₹44 लाख थी, जो अब बढ़कर ₹65 लाख प्रति दिन हो गई है।
जनता के हित में सख्त शासन का उदाहरण
पंजाब सरकार का यह कदम इस बात का उदाहरण है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने वाली प्रणाली को खत्म किया जा सकता है। भगवंत मान सरकार ने अपने फैसलों से यह साबित किया है कि पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ जनहित को सर्वोपरि रखा जा सकता है।
सरकार का लक्ष्य अब टोल-फ्री पंजाब बनाना है, जहां सड़कें सिर्फ सफर का ज़रिया नहीं बल्कि लोगों के जीवन को आसान बनाने का साधन बनें।