डिजिटल पेमेंट की दुनिया में अब बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। फिनटेक कंपनियां जैसे PhonePe, Paytm और Cred अपनी किराया भुगतान सेवाओं को बंद कर रही हैं। इसका कारण है भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नई गाइडलाइन, जिसने पूरे सिस्टम को बदलकर रख दिया है।
उपभोक्ताओं के लिए क्या बदलेगा?
अब जो लोग हर महीने क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाते थे, उनके लिए मुश्किलें बढ़ेंगी।
- उन्हें अब न तो रिवॉर्ड पॉइंट्स मिलेंगे और न ही कैशबैक का फायदा।
- नकदी प्रवाह (cash flow) संभालने के लिए इस्तेमाल होने वाली ब्याज-मुक्त क्रेडिट अवधि भी अब उपयोगी नहीं रहेगी।
- किराया चुकाने के लिए लोगों को फिर से पुराने तरीकों जैसे बैंक ट्रांसफर, UPI या चेक का सहारा लेना होगा।
RBI का नया नियम
15 सितंबर 2025 को जारी RBI सर्कुलर के मुताबिक, अब पेमेंट एग्रीगेटर (PA) और पेमेंट गेटवे (PG) सिर्फ उन्हीं व्यापारियों के साथ लेन-देन कर पाएंगे जिनके साथ उनका सीधा समझौता है और जिनकी पूरी KYC प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
इसका असर यह हुआ कि फिनटेक ऐप्स अब किसी भी मकान मालिक को भुगतान नहीं भेज पाएंगे, जब तक कि वह उनके प्लेटफॉर्म पर अधिकृत व्यापारी (merchant) के रूप में रजिस्टर्ड न हो।
क्यों था क्रेडिट कार्ड से किराया देना लोकप्रिय?
क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान हाल के वर्षों में बेहद लोकप्रिय हो गया था।
- इससे यूजर्स को इनाम अंक और कैशबैक मिलते थे।
- पूरे महीने के लिए बिना ब्याज वाला क्रेडिट मिलता था।
- मकान मालिकों को तुरंत पैसा मिल जाता था।
- और सबसे अहम – भुगतान का पूरा डिजिटल रिकॉर्ड मौजूद रहता था।
लेकिन अब ये फायदे खत्म होते दिख रहे हैं।
बैंकों ने पहले ही दिए थे संकेत
फिनटेक कंपनियों से पहले बैंकों ने ही इस सेवा को सीमित करना शुरू कर दिया था।
- HDFC बैंक ने जून 2024 में किराया भुगतान पर 1% शुल्क लगाया।
- ICICI बैंक और SBI कार्ड्स ने इस पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट्स बंद कर दिए।
- मार्च 2024 में PhonePe, Paytm, Cred और Amazon Pay जैसी कई ऐप्स ने इसे अस्थायी तौर पर निलंबित भी किया था।
फिनटेक कंपनियों पर असर
RBI की गाइडलाइन से फिनटेक कंपनियों के बिज़नेस मॉडल को भी झटका लगा है।
- अब वे मार्केटप्लेस मॉडल पर मकान मालिकों को भुगतान नहीं भेज पाएंगी।
- हर लेन-देन के लिए उन्हें व्यापारी पंजीकरण और KYC करानी होगी।
- इससे उनकी लागत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं के लिए अनुभव भी जटिल होगा।
फिलहाल कंपनियां नियमों का पालन करते हुए किराया भुगतान सेवाओं को नए तरीके से शुरू करने की संभावनाएं तलाश रही हैं।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा झटका लगेगा। उन्हें अब अपने मकान मालिकों के साथ मिलकर अन्य डिजिटल विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा। दूसरी तरफ, यह स्थिति बैंकों के लिए एक नए अवसर के रूप में देखी जा रही है, ताकि वे किराए के भुगतान के लिए नए और सुरक्षित समाधान पेश कर सकें।