सरकार ने जीएसटी 2.0 लागू करते हुए टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के तहत अब ज़्यादातर ज़रूरी और रोजमर्रा की चीज़ों पर टैक्स घटा दिया गया है। दावा किया गया कि इससे आम जनता को सीधा फायदा मिलेगा और दाम कम होंगे। लेकिन जमीनी हालात अलग तस्वीर दिखा रहे हैं। कई दुकानों और ऑनलाइन स्टोर्स पर उपभोक्ता अभी भी पुराने दाम ही चुका रहे हैं।
टैक्स कटौती का असर क्यों नहीं दिख रहा
खरीदारों का कहना है कि बाजार में जीएसटी दरों की कटौती का फायदा उन तक नहीं पहुंच रहा है। दुकानदार और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पुराने दाम ही वसूल रहे हैं। इस स्थिति ने उपभोक्ताओं के बीच नाराज़गी और भ्रम दोनों पैदा कर दिए हैं।
सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर
लोगों की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन पोर्टल जारी किए हैं ताकि ग्राहक आसानी से शिकायत दर्ज करा सकें।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH): 1915
- व्हाट्सएप नंबर: 8800001915
- ऑनलाइन पोर्टल: INGRAM
सरकार का कहना है कि किसी भी तरह की ओवरचार्जिंग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी दुकानदारों पर कार्रवाई होगी।
जीएसटी 2.0 में क्या है नया
नए सिस्टम में टैक्स दरों को सरल बनाया गया है। पहले जीएसटी के चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) थे, जिन्हें घटाकर अब सिर्फ दो स्लैब रखे गए हैं – 5% और 18%। इससे रोजमर्रा की लगभग सभी वस्तुएं पहले से सस्ती हो गई हैं।
कंपनियों ने भी किए दाम कम
सरकार ने बताया कि कई कंपनियों ने टैक्स कटौती के बाद अपने प्रोडक्ट्स के दाम घटाने का ऐलान किया है। सरकार लगातार मार्केट की निगरानी कर रही है ताकि उपभोक्ताओं को सही मायने में राहत मिल सके।
उपभोक्ताओं को क्या करना चाहिए
सरकार ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि अगर उन्हें लगता है कि उनसे गलत तरीके से ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं, तो वे तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। यह उनका अधिकार है और साथ ही उनकी जिम्मेदारी भी, ताकि टैक्स सुधारों का लाभ सभी तक पहुंच सके।
संक्षेप में, जीएसटी 2.0 उपभोक्ताओं को राहत देने की दिशा में बड़ा कदम है। लेकिन यह तभी सफल होगा जब बाजार और दुकानदार सचमुच दाम घटाकर इस सुधार को ग्राहकों तक पहुंचाएंगे।