सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर के लोगों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की बिक्री और जलाने पर लगी रोक हटाने का फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि लोगों की आस्था और पटाखा उद्योग से जुड़े लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी को ध्यान में रखना जरूरी है।
कोर्ट ने कहा — “सिर्फ पटाखे नहीं, बाकी कारण भी जिम्मेदार”
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि वायु प्रदूषण के लिए केवल पटाखों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि “ग्रीन पटाखों के अलावा दूसरे पटाखों की तस्करी चिंता का विषय है, लेकिन हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।” कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि साल 2018 में पटाखों पर बैन लगाने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर की हवा में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।
हरियाणा के 14 जिले भी थे प्रभावित
कोर्ट ने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में आने वाले हरियाणा के 14 जिले इस प्रतिबंध से प्रभावित हुए थे। इससे पटाखा उद्योग से जुड़े कई छोटे व्यापारियों और कामगारों पर आर्थिक असर पड़ा। पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुझाव दिया था कि लोगों को त्योहार के दौरान सीमित समय के लिए पटाखे जलाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
केवल लाइसेंसधारी विक्रेताओं को मिलेगी इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पटाखे केवल वही व्यापारी बेच सकते हैं, जिनके पास नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) का वैध लाइसेंस है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी ग्रीन पटाखों पर QR कोड होना आवश्यक है ताकि नकली और असली पटाखों में फर्क किया जा सके।
तय हुआ पटाखे जलाने का समय
कोर्ट ने दीवाली से एक दिन पहले और दीवाली के दिन दो निश्चित समय निर्धारित किए हैं:
- सुबह 6 से 7 बजे तक
- शाम 8 से 10 बजे तक
इसके अलावा, कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं ताकि गैर-ग्रीन पटाखों की बिक्री या अवैध तस्करी न हो सके।
प्रदूषण पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि केवल पटाखों पर पाबंदी लगाने से वायु गुणवत्ता में खास सुधार नहीं हुआ है। पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाला धुआं और औद्योगिक उत्सर्जन प्रदूषण के बड़े कारण हैं। कोर्ट ने सुझाव दिया कि सभी स्रोतों पर समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए।
खुशी और पर्यावरण के बीच संतुलन ज़रूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हमारे त्योहार हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण भी हमारी जिम्मेदारी है।” कोर्ट ने अपील की कि लोग ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल करें और प्रदूषण कम करने में योगदान दें।