भारतीय रुपये की कमजोरी का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार की शुरुआत के साथ ही रुपया 5 पैसे गिरकर 88.77 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विशेषज्ञों के अनुसार, डॉलर की बढ़ती मजबूती, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता रुपये पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
शुरुआती कारोबार में गिरावट
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार (Interbank Forex Market) में रुपया सोमवार को 88.75 रुपये प्रति डॉलर पर खुला और थोड़ी ही देर में 88.77 रुपये तक गिर गया। यह पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 5 पैसे की गिरावट है। शुक्रवार को रुपया 88.72 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
वहीं, छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स मामूली रूप से 0.04 प्रतिशत गिरकर 98.93 पर पहुंचा।
घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी
रुपये के साथ-साथ घरेलू शेयर बाजार में भी गिरावट का रुख देखा गया।
बीएसई सेंसेक्स 451 अंकों की गिरावट के साथ 82,049 अंक पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 50 109 अंकों की गिरावट के साथ 25,175 अंक पर पहुंच गया।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी निवेशक अभी सतर्क रुख अपना रहे हैं, जिसके कारण इक्विटी बाजारों में कमजोरी दिख रही है।
कच्चा तेल और विदेशी निवेश का असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़कर 63.67 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जो 1.50 प्रतिशत की तेजी दर्शाती हैं। तेल के दामों में इस बढ़ोतरी से भारत का आयात बिल बढ़ सकता है, जिससे रुपये पर और दबाव पड़ता है।
इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को 459.20 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार को कुछ सहारा मिला। लेकिन डॉलर की मजबूती और भू-राजनीतिक तनावों के चलते निवेशकों का भरोसा अभी कमजोर बना हुआ है।
क्या और गिरेगा रुपया?
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि यदि डॉलर की मजबूती बनी रही तो रुपया 88.80 या इससे नीचे भी जा सकता है।
वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता, मध्य पूर्व में तनाव और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती भारतीय करेंसी के लिए चुनौती बने हुए हैं।