पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) दरों के तार्किकरण पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि अगर यह कदम राज्यों की आय में कमी की भरपाई किए बिना लागू हुआ तो राज्यों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है और संघीय ढांचा भी प्रभावित होगा।
दिल्ली में राज्यों की बैठक
चीमा शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में आयोजित बैठक में शामिल हुए। इसमें केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के वित्त मंत्री व प्रतिनिधि भी मौजूद थे। सभी का मानना था कि जीएसटी सुधार तभी सफल होंगे जब राज्यों की आय सुरक्षित रखने की ठोस व्यवस्था होगी।
मुआवजे और अतिरिक्त कर की मांग
पंजाब के वित्त मंत्री ने सुझाव दिया कि लग्जरी उत्पादों, सिगरेट और शराब जैसी वस्तुओं पर अतिरिक्त कर (एडिशनल लेवी) लगाया जाए और उससे होने वाली आय राज्यों को दी जाए। उन्होंने कहा कि कम से कम पाँच साल तक मुआवजा सुनिश्चित किया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर यह अवधि बढ़ाई भी जा सकती है।
पंजाब को भारी नुकसान
चीमा ने कहा कि 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब को करीब 1.11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। केंद्र ने केवल 60 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा दिया, लेकिन शेष घाटे को पूरा करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राज्यों के पास आय का स्थायी स्रोत नहीं होगा तो वे अपने संवैधानिक दायित्व कैसे निभा पाएंगे।
मजबूत राज्य, मजबूत भारत
वित्त मंत्री का कहना है कि केंद्र को यह नहीं सोचना चाहिए कि राज्यों पर सारा बोझ डाल दिया जाए और आय के स्रोत अपने पास रखे जाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब राज्य वित्तीय रूप से मजबूत होंगे तभी देश मजबूत होगा। यही कारण है कि राज्यों की आय सुरक्षा जीएसटी सुधारों का अहम हिस्सा होनी चाहिए।
बाढ़ प्रभावितों के लिए केंद्र से मदद की उम्मीद
राज्य में आई बाढ़ पर बोलते हुए चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार राहत और बचाव कार्यों में पूरी तरह लगी हुई है। नुकसान का आकलन होने के बाद केंद्र से विशेष पैकेज की माँग की जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस आपदा की घड़ी में राज्य की मदद के लिए आगे आएगी।