श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रथम प्रकाश पर्व पर हरिमंदर साहिब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश दिवस पर अमृतसर स्थित सच्चखंड श्री हरिमंदर साहिब और आसपास के गुरुद्वारों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। संगतों ने माथा टेककर गुरु घर से आशीर्वाद लिया और गुरबाणी कीर्तन में शामिल होकर आध्यात्मिक माहौल का अनुभव किया।

रामसर साहिब से नगर कीर्तन की शुरुआत

गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में अखंड पाठ साहिब के भोग के उपरांत, सिख परंपरा अनुसार भव्य नगर कीर्तन निकाला गया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन हजूरी, पंज प्यारे और निशानचियों की अगुवाई में कीर्तन यात्रा की रवानगी हुई। इस मौके पर मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह, एसजीपीसी प्रमुख एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज ने सेवा निभाने वालों को सिरोपा देकर सम्मानित किया।

संदेश: गुरबाणी को जीवन में अपनाएं

मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह ने प्रकाश पर्व की बधाई देते हुए कहा कि गुरबाणी सिख जीवन का मार्गदर्शन है। हर सिख का फ़र्ज़ है कि वह गुरु के उपदेशों को जीवन में उतारे। उन्होंने संगत को प्रेरित किया कि वे गुरमत रहणी–बहणी को अपनाकर समाज में सद्भाव और सेवा की भावना फैलाएं।

एसजीपीसी प्रमुख का आह्वान

एसजीपीसी प्रमुख एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अपने संदेश में कहा कि गुरबाणी इंसान को सही रास्ता दिखाती है और जीवन को सुखमय बनाने का साधन है। उन्होंने संगत से अपील की कि वे नितनेम से जुड़े रहें और खंडे बाटे दी पहल को अपनाकर गुरु की रहमत से जुड़ें।

नगर कीर्तन में झलक सिख संस्कृति की

नगर कीर्तन के दौरान सिख युवाओं ने गतका प्रदर्शन कर अपनी परंपरा का परिचय दिया। शबदी जथों ने मधुर शब्द गाकर माहौल को भक्ति रस में रंग दिया। यात्रा मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने लंगर सेवा लगाकर गुरु घर की परंपरा को निभाया।

पंथक नेताओं और संगत की हाज़िरी

इस मौके पर एसजीपीसी सदस्य और पंथक हस्तियों के साथ-साथ दूर-दराज़ से आई संगतों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। गुरु घर से जुड़े विभिन्न संगठनों और प्रतिनिधियों ने भी इस समागम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

दीपमाला और पुष्प सज्जा का अद्भुत नजारा

प्रकाश पर्व के अवसर पर श्री हरिमंदर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब और बाबा अटल राय साहिब को दीपमाला और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया। यह दृश्य श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा। वहीं, गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हॉल में हुए गुरमत समागम में रागी और कविशर जथों ने संगत को गुरु जस से जोड़ा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *