उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी का बड़ा दांव, सीपी राधाकृष्णन बने एनडीए उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है। एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं विपक्षी खेमे ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बीजेपी का यह कदम विपक्षी दलों के लिए नई चुनौती खड़ी कर रहा है, क्योंकि राधाकृष्णन का नाम रणनीतिक तौर पर विपक्ष में सेंधमारी का प्रयास माना जा रहा है।


जेपी नड्डा का बयान और सर्वसम्मति की कोशिश

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद राधाकृष्णन के नाम का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि पार्टी विपक्ष से भी बातचीत कर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करेगी। जानकार मानते हैं कि बीजेपी ने यह चुनावी चाल सिर्फ जीत सुनिश्चित करने के लिए नहीं चली है, बल्कि इसके ज़रिए दक्षिण भारत और महाराष्ट्र की राजनीति को भी साधने का प्रयास किया है।


तमिलनाडु और महाराष्ट्र पर नज़र

सीपी राधाकृष्णन मूल रूप से तमिलनाडु से हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। यही वजह है कि बीजेपी का यह फैसला दो राज्यों में विपक्षी दलों के लिए सिरदर्द बन गया है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए अपने ही राज्यपाल के खिलाफ वोट करना आसान नहीं होगा। वहीं, तमिलनाडु में एमके स्टालिन की डीएमके भी इस मुद्दे पर असमंजस में है क्योंकि राज्य में क्षेत्रीय अस्मिता अहम भूमिका निभाती है।


चुनावों में सेंधमारी का पुराना इतिहास

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में हमेशा से सत्ताधारी दल विपक्षी खेमे में सेंधमारी करता आया है।

  • 2007 में यूपीए उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल को एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने समर्थन दिया था।
  • 2012 में प्रणब मुखर्जी को भी विपक्षी दलों का वोट मिला।
  • 2017 में रामनाथ कोविंद को विपक्षी दल जेडीयू ने समर्थन किया।
  • 2022 में उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की जीत में भी विपक्षी दलों की कमजोरी साफ दिखी।

अब एक बार फिर बीजेपी की कोशिश है कि विपक्ष में फूट डालकर जीत और आसान बनाई जाए।


विपक्षी खेमे में दुविधा

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने राधाकृष्णन की तारीफ करते हुए उन्हें “अनुभवी और अच्छे इंसान” बताया। यह इशारा है कि उद्धव ठाकरे खुले विरोध की राह पर नहीं जा पाएंगे। वहीं, डीएमके के सामने भी मुश्किल है कि वह अपने ही राज्य से जुड़े एनडीए उम्मीदवार का विरोध करे या समर्थन दे।


‘इंडिया’ ब्लॉक की चुनौती

एनडीए उम्मीदवार घोषित होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ ब्लॉक की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। विपक्ष एकजुट होकर उम्मीदवार उतारना चाहता था, लेकिन अब स्थिति उलझ गई है। तमिलनाडु में डीएमके के 32 सांसद हैं और उनका फैसला इस चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता है।


कुल मिलाकर, सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी ने उपराष्ट्रपति चुनाव को रोमांचक बना दिया है। अब नज़रें इस बात पर हैं कि विपक्षी खेमे से कौन उम्मीदवार उतारा जाएगा और शिवसेना-डीएमके किस तरह का रुख अपनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *