भारतीय वायुसेना का मिग-21 विमान, जिसने 1960 के दशक से लेकर अब तक आसमान पर अपनी ताक़त दिखाई, शुक्रवार 26 सितंबर 2025 को आखिरी बार उड़ान भरेगा। इस सुपरसोनिक फाइटर जेट ने न सिर्फ वायुसेना की ताक़त बढ़ाई बल्कि भारत को जेट युग में भी प्रवेश दिलाया।
चंडीगढ़ बनेगा गवाह ऐतिहासिक लम्हे का
विदाई समारोह चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर होगा, जहाँ कभी मिग-21 की शुरुआत हुई थी। इस मौके पर छह पूर्व वायुसेना प्रमुख – एवाईएस टिपनिस, एस कृष्णास्वामी, एसपी त्यागी, पीवी नायक, बीएस धनोआ और आरकेएस भदौरिया मौजूद रहेंगे। यह पल न सिर्फ भारतीय वायुसेना बल्कि पूरे देश के लिए भावुक होगा।
विवाद और उपनाम के पीछे की असली कहानी
मिग-21 को कई बार “फ्लाइंग कॉफिन” कहा गया क्योंकि दशकों में कई हादसे हुए। लेकिन पूर्व पायलटों और एयर चीफ्स का कहना है कि यह नाम इस विमान की असली ताक़त और बहादुरी को कम करके आंकता है। 1965 और 1971 के युद्ध हों, कारगिल हो या 2019 की बालाकोट स्ट्राइक – मिग-21 हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा।
आखिरी उड़ान और पायलटों की भावनाएँ
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अगस्त में राजस्थान के नाल एयरबेस से मिग-21 उड़ाकर इसे सैल्यूट दिया। उन्होंने इसे “पायलटों के साहस और समर्पण का प्रतीक” बताया। कई पायलट मानते हैं कि इस विमान ने उन्हें मुश्किल मिशनों में भी निराश नहीं किया।
मिग-21 की अमर विरासत
विशेषज्ञ मानते हैं कि मिग-21 ने भारतीय वायुसेना की पहचान गढ़ी। एयर कमोडोर नितिन साठे (रिटायर्ड) ने कहा कि छह दशकों तक यह न केवल लड़ाई में कारगर साबित हुआ बल्कि नई पीढ़ी के पायलटों को प्रशिक्षित करने का सबसे मज़बूत आधार भी बना।
अंत लेकिन प्रेरणा बनी रहेगी
पूर्व वायुसेना प्रमुख पीसी लाल ने मिग-21 को “ऐसे पंख” कहा था, जो भारत ने पहले कभी महसूस नहीं किए। अब जब यह इतिहास का हिस्सा बनेगा, तो इसके किस्से और इसकी बहादुरी हमेशा नई पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।