हरियाणा में ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (HAREDA) की मदद से सब्सिडी दी जा रही है। बायोगैस एक स्वच्छ, धुआं-रहित और किफायती ईंधन है, जिसमें लगभग 55 से 70 प्रतिशत मीथेन गैस होती है। यह गैस गोबर और अन्य जैविक कचरे से बने बायोगैस प्लांट्स के माध्यम से तैयार की जाती है।
हरियाणा में अपार संभावनाएं
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा में करीब 76 लाख पशुधन मौजूद है। इनसे प्रतिदिन लगभग 38 लाख घन मीटर बायोगैस तैयार हो सकती है। इतनी मात्रा से लगभग 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव है। शुद्धिकरण के बाद इस गैस को बायो-सीएनजी के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
संस्थागत बायोगैस कार्यक्रम के तहत मदद
प्रवक्ता ने आगे बताया कि संस्थागत बायोगैस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार 40 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रही है। इसके तहत गौशालाओं, डेयरियों और संस्थागत इकाइयों में बायोगैस प्लांट लगाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक राज्य में 114 बायोगैस प्लांट्स लगाए जा चुके हैं। इस योजना में 25 से 85 घन मीटर क्षमता वाले प्लांट्स को 1.27 लाख से 3.95 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है।
बिजली उत्पादन के लिए बायोगैस
इसी तरह बायोगैस पावर (ऑफ-ग्रिड) जेनरेशन प्रोग्राम के तहत, केंद्र सरकार भी सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। इस योजना में 3 किलोवाट से 250 किलोवाट क्षमता वाले प्लांट्स पर प्रति किलोवाट 15,000 रुपये से 40,000 रुपये तक की सहायता दी जाती है। इन प्लांट्स के माध्यम से पशु अपशिष्ट आधारित बायोगैस से बिजली तैयार की जाती है।
आवेदन प्रक्रिया और नियम
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इच्छुक संस्थान और व्यक्ति निर्धारित प्रारूप में आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए संबंधित जिले के अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय में आवेदन जमा करना होगा। लाभार्थी को KVIC (खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग) की डिजाइन के अनुसार प्लांट स्थापित करना होगा और छह माह के भीतर परियोजना पूरी करनी होगी।
‘पहले आओ, पहले पाओ’ का आधार
प्रवक्ता ने कहा कि आवेदन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर स्वीकार किए जाएंगे। इसमें गौशालाओं और धार्मिक संस्थाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इस योजना से न केवल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी।