सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। भारत जैसे देशों में इसका सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व और भी ज़्यादा है। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी और उनके नए टैरिफ़ ऐलान के बाद वैश्विक बाज़ारों में तनाव बढ़ गया है। इसका सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ा है। इस साल अब तक सोना डॉलर के लिहाज़ से लगभग 32% महंगा हो चुका है।
अमेरिकी नीतियों और डॉलर की कमजोरी का असर
बाज़ार विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ब्याज़ दरों में कटौती की उम्मीद और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने सोने को मज़बूत सहारा दिया है। इसके अलावा, डॉलर में लगातार गिरावट और कई केंद्रीय बैंकों का डॉलर रिज़र्व से दूरी बनाकर सोने को रिज़र्व एसेट के रूप में अपनाना भी इस उछाल के पीछे अहम कारण हैं।
क्या सोना बन सकता है मुख्य रिज़र्व संपत्ति?
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगर वैश्विक आर्थिक हालात और बिगड़ते हैं तो भविष्य में सोना प्रमुख रिज़र्व संपत्ति बन सकता है। हालांकि, फिलहाल यह स्थिति पूरी तरह संभव नहीं दिखती। इसके लिए वैश्विक स्तर पर मंदी, महंगाई और जीडीपी में गिरावट जैसे हालात बनने होंगे। बावजूद इसके, सोने की हालिया बढ़त बताती है कि निवेशक और केंद्रीय बैंक आने वाले समय को लेकर चिंतित हैं।
शेयर बाजार की तस्वीर बिल्कुल अलग
जहां सोने की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी जा रही है, वहीं शेयर बाजार बिल्कुल अलग तस्वीर पेश कर रहा है। इस साल निफ्टी इंडेक्स 5% ऊपर है, जबकि अमेरिका का S&P 500 लगभग 9% चढ़ चुका है। दोनों देशों के शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊँचाई के क़रीब पहुँच गए हैं। इसके साथ ही अस्थिरता सूचकांक (Volatility Index) भी स्थिरता की तरफ़ इशारा कर रहा है। यानी शेयर बाजार में निवेशकों का भरोसा अभी भी मज़बूत बना हुआ है।
निवेशकों की रणनीति – कौन आगे निकलेगा?
बाज़ार विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा निवेशक (Retail Investors) अभी शेयर और सोने दोनों में आक्रामक दांव खेल रहे हैं। वहीं, संस्थागत निवेशक (Institutional Investors) बांड और मुद्रा बाज़ार की ओर ज़्यादा सतर्कता दिखा रहे हैं। इतिहास गवाह है कि लंबे समय में संस्थागत निवेशकों की रणनीति अक्सर आम निवेशकों से बेहतर साबित होती है। ऐसे में आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सोने की चमक टिकाऊ रहती है या शेयर बाज़ार का भरोसा फिर से ज़्यादा लाभ देता है।
निवेशकों के लिए संदेश
बाज़ार की मौजूदा स्थिति बताती है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच सोना तेज़ी से मज़बूत हो रहा है, लेकिन शेयर बाजार भी रफ्तार पकड़े हुए है। यानी निवेशकों के लिए चुनौती यह है कि वे किस एसेट क्लास पर भरोसा करें। विशेषज्ञों की राय है कि संतुलित पोर्टफोलियो ही इस समय सबसे समझदारी भरा कदम हो सकता है।