सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर और लाइब्रेरियन को बड़ी राहत दी है। अदालत ने साफ कर दिया है कि जब तक नई भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इनकी सेवाएं सरकारी कॉलेजों में जारी रहेंगी। इस आदेश से न केवल शिक्षकों बल्कि हजारों छात्रों को भी राहत मिली है।
2023 में रद्द हुई थी भर्ती प्रक्रिया
याद दिला दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 2023 में इनकी भर्ती रद्द कर दी थी। इसके बाद से ही कॉलेजों में शिक्षकों और लाइब्रेरियनों की नौकरी अधर में लटक गई थी। अगर सेवाएं समाप्त कर दी जातीं, तो पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ता और कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी हो जाती।
सरकार ने रखी थी मजबूरी की दलील
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि अगर इन प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों की सेवाएं बंद की जाती हैं तो उच्च शिक्षा को गहरा नुकसान होगा। सरकार ने कहा कि हजारों छात्रों की पढ़ाई बाधित होगी और कॉलेजों की कार्यप्रणाली प्रभावित होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का पक्ष माना
अदालत ने पंजाब सरकार की दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि नई भर्ती आने तक मौजूदा शिक्षक और लाइब्रेरियन सेवाएं देते रहेंगे। इससे शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता बनी रहेगी और छात्रों की पढ़ाई बीच में नहीं रुकेगी।
शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने जताई खुशी
शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह आदेश पंजाब सरकार की मेहनत और छात्रों के हित की जीत है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने हमारी गुजारिश मान ली है। अब 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर और लाइब्रेरियन तब तक काम करते रहेंगे जब तक नई नियुक्तियां नहीं हो जातीं। यह छात्रों की पढ़ाई को बिना रुकावट जारी रखेगा।”
छात्रों और कॉलेजों को सीधा फायदा
इस फैसले से कॉलेजों में पढ़ रहे हजारों छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा। लंबे समय से उन्हें इस बात की चिंता थी कि शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित होगी, लेकिन अब यह संकट टल गया है। वहीं, असिस्टेंट प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों को भी अपनी नौकरी को लेकर अस्थायी सुरक्षा मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला शिक्षा जगत के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि पंजाब सरकार नई भर्ती प्रक्रिया कितनी जल्दी पूरी करती है।