समाजवादी पार्टी नेता आज़म ख़ान 23 महीने बाद जेल से बाहर, लेकिन फिर गिरफ्तारी का ख़तरा

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आज़म ख़ान को मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया। उनके समर्थक और परिवारजन बड़ी संख्या में जेल के बाहर मौजूद रहे। हालांकि, सियासी हलकों में अब यह चर्चा है कि वह कितने दिनों तक जेल से बाहर रह पाएंगे, क्योंकि उन पर दर्ज मुकदमों की लंबी सूची अभी भी ख़त्म नहीं हुई है।


2017 के बाद से बढ़ी मुश्किलें

योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद आज़म ख़ान पर कानूनी शिकंजा लगातार कसता गया। उनके खिलाफ करीब 104 केस दर्ज हैं, जिनमें से 93 केवल रामपुर से जुड़े हैं। इनमें ज़मीन कब्ज़े से लेकर सरकारी दस्तावेज़ों में हेरफेर जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

आजम पहली बार फरवरी 2020 में गिरफ्तार हुए थे और उन्हें सुरक्षा कारणों से सीतापुर जेल भेजा गया था। लगभग 27 महीने जेल में रहने के बाद वह मई 2022 में बाहर आए। लेकिन 2023 में बेटे अब्दुल्ला आज़म के फर्ज़ी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उन्हें सात साल की सज़ा सुनाई गई और वे फिर जेल चले गए।


पूरा परिवार फंसा कानूनी पचड़ों में

सिर्फ आज़म ही नहीं, उनका पूरा परिवार मुकदमों में उलझा हुआ है।

  • अब्दुल्ला आज़म पर 43 केस दर्ज
  • पत्नी तंजीम फातिमा पर 35 केस
  • बड़े बेटे अदीब पर 20 केस

यानि परिवार पर कुल मिलाकर लगभग 175 मुकदमे चल रहे हैं।


कई मामलों में सजा, कई में बरी

अब तक 12 मामलों में अदालत का फैसला आ चुका है। इनमें से 8 में आज़म को राहत मिली जबकि 4 में सज़ा हुई।

  • 2019 के लोकसभा चुनाव में भड़काऊ भाषण देने पर 3 साल की कैद और जुर्माना
  • फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में 7 साल की सज़ा
  • ज़मीन बेदखली प्रकरण में 10 साल की कैद
  • सार्वजनिक संपत्ति नुकसान मामले में 2 साल की सज़ा

80 से ज़्यादा मामले अभी लंबित

आजम ख़ान पर दर्ज 104 में से करीब 80 केस अभी भी अदालतों में पेंडिंग हैं।

  • 59 मजिस्ट्रेट कोर्ट में
  • 19 सेशन कोर्ट में
  • 3 ज़िला अदालत में

कई मामलों में सुनवाई अंतिम चरण में है, जिनमें सज़ा होने पर उन्हें दोबारा जेल जाना पड़ सकता है।


आज़म की सियासी ज़िंदगी पर असर

कभी यूपी की सियासत में अपनी पकड़ रखने वाले आज़म ख़ान की राजनीतिक ज़मीन 2017 के बाद से लगातार खिसक रही है। मुकदमों की भीड़ और लगातार जेल यात्राओं ने उनकी सक्रिय राजनीति को लगभग ठप कर दिया है।

रिहाई के बाद उनका अगला कदम सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है, लेकिन मुकदमों की वजह से उनका भविष्य अभी भी अनिश्चित है।

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