भारतीय शेयर बाजार ने 22 अगस्त को करारी गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स 693 अंक लुढ़ककर 81,306 पर और निफ्टी 213 अंक टूटकर 24,870 पर बंद हुआ। पिछले छह कारोबारी दिनों से बाजार में लगातार तेजी थी। इसी वजह से निवेशकों ने मुनाफावसूली का रुख अपनाया और भारी बिकवाली देखने को मिली।
बैंकों और आईटी कंपनियों के शेयर दबाव में
गिरावट का सबसे ज्यादा असर बैंकिंग और आईटी सेक्टर पर पड़ा। HDFC बैंक और ICICI बैंक जैसे बड़े शेयरों में तेज़ बिकवाली हुई। इसके चलते बाजार का समग्र माहौल नकारात्मक हो गया और लगभग सभी सेक्टोरल इंडेक्स दबाव में आ गए।
पावेल के भाषण से पहले बढ़ी बेचैनी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पावेल आज जैक्सन होल कॉन्फ्रेंस में भाषण देंगे। निवेशकों को उम्मीद है कि उनके बयान से अमेरिका की ब्याज दर नीति को लेकर संकेत मिलेंगे। इस अनिश्चित माहौल ने भारतीय बाजार में घबराहट बढ़ा दी। विश्लेषकों का कहना है कि पावेल का रुख आगे की दिशा तय करेगा।
अमेरिका के टैरिफ फैसले का असर
एक और वजह जिसने निवेशकों की धारणा को कमजोर किया, वह है 27 अगस्त से भारत पर लगने वाला 25% अतिरिक्त टैरिफ। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यह लागू हुआ तो भारत की GDP ग्रोथ 20-30 आधार अंक तक प्रभावित हो सकती है। इसका असर बाजार पर साफ तौर पर दिखाई दिया।
रुपये में कमजोरी से भी दबाव
विदेशी मुद्रा बाजार में भी सुस्ती देखी गई। शुक्रवार को कारोबार की शुरुआत में भारतीय रुपया 11 पैसे गिरकर 87.36 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। डॉलर की मांग बढ़ने से रुपये पर दबाव आया, हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी ने इसे गहरी गिरावट से बचा लिया।
अमेरिका का सख्त बयान
व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से तेल खरीदकर लाभ कमा रहा है। उन्होंने भारत को रूस का “लॉन्ड्रोमैट” तक कह दिया। साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि 27 अगस्त की समयसीमा नहीं बढ़ाई जाएगी और टैरिफ लागू होंगे। इस बयान ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी।