हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने भाखड़ा बांध की स्थिति को गंभीर बना दिया है। गोबिंद सागर झील का जलस्तर शुक्रवार को 1672.05 फीट तक पहुंच गया। बांध की कुल क्षमता 1680 फीट है, यानी अब यह खतरे के निशान से महज कुछ ही फीट नीचे है।
बढ़ते पानी के दबाव को देखते हुए बांध प्रबंधन ने फ्लड गेट खोलने का फैसला किया। शुक्रवार शाम करीब छह बजे तक झील में 58,477 क्यूसेक पानी की आवक दर्ज की गई। दूसरी ओर, टरबाइन और फ्लड गेटों से लगभग 53,618 क्यूसेक पानी नंगल डैम झील में छोड़ा गया। इसके अलावा नंगल हाइडल नहर और श्री आनंदपुर साहिब हाइडल नहर के लिए भी पानी की बड़ी मात्रा छोड़ी गई। अकेले सतलुज नदी में ही नंगल डैम से लगभग 31,550 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो गुरुवार की तुलना में करीब 1,000 क्यूसेक ज्यादा है।
जलस्तर लगातार ऊपर जाने के कारण सतलुज किनारे बसे गांवों में चिंता बढ़ गई है। ग्रामीणों को पिछले साल की याद सता रही है, जब नंगल और श्री आनंदपुर साहिब के आसपास के कई गांव बाढ़ जैसी स्थिति से प्रभावित हुए थे और लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी हालात बिगड़ने की आशंका से लोग डरे हुए हैं।
हालांकि प्रशासन का कहना है कि फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। अधिकारी बांध की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और पानी की निकासी को नियंत्रित करने के उपाय किए जा रहे हैं। टीमों को पूरी तरह अलर्ट पर रखा गया है ताकि निचले इलाकों में खतरे को समय रहते टाला जा सके।
भाखड़ा बांध उत्तर भारत की ऊर्जा और सिंचाई जरूरतों की रीढ़ माना जाता है। ऐसे में हर बार मॉनसून के दौरान बढ़ते जलस्तर से न केवल प्रबंधन की चिंता बढ़ती है, बल्कि आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी यह बड़ी चुनौती बन जाता है।