बीमा प्रीमियम पर अब नहीं देना होगा टैक्स, जीएसटी काउंसिल का ऐतिहासिक फैसला

जीएसटी काउंसिल की हालिया बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाने के लिए अहम ऐलान किए गए। अब पूरे देश में सिर्फ दो स्लैब लागू होंगे – 5% और 18%। 12% और 28% वाले टैक्स स्लैब खत्म कर दिए गए हैं।


बीमा प्रीमियम पर जीएसटी पूरी तरह खत्म

बैठक में सबसे बड़ा सरप्राइज रहा इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% जीएसटी को जीरो करना। यह नियम 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। इसका सीधा फायदा लाखों पॉलिसीधारकों को मिलेगा। चाहे हेल्थ इंश्योरेंस हो, टर्म प्लान हो या फैमिली फ्लोटर – अब टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं होगी।


पॉलिसीधारकों की जेब में राहत

सरल उदाहरण से समझें –

  • पहले ₹20,000 के प्रीमियम पर 18% टैक्स यानी ₹3,600 अतिरिक्त देना पड़ता था। अब यह पूरी तरह खत्म होगा।
  • इसी तरह ₹10,000 के प्रीमियम पर अब सीधे ₹1,800 की बचत होगी।

यानी हर महीने प्रीमियम भरने वाले लोगों को बड़ी आर्थिक राहत मिलेगी और बीमा लेना ज्यादा आसान और सस्ता होगा।


कंपनियों पर आईटीसी का दबाव

हालांकि, इस फैसले के बाद बीमा कंपनियों के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। अभी तक वे ग्राहकों से मिले टैक्स को अपने खर्चों (ऑफिस किराया, एजेंट कमीशन, मार्केटिंग आदि) पर चुकाए गए जीएसटी से एडजस्ट करती थीं। अब इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का विकल्प खत्म हो जाएगा।

इससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी। आशंका है कि इसका बोझ वे ग्राहकों के बेस प्रीमियम में जोड़ सकती हैं।


सरकार का संदेश और उम्मीद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि टैक्स में हुई कटौती का पूरा फायदा आम जनता तक पहुंचे। लंबे समय से बीमा पर टैक्स हटाने की मांग उठ रही थी, जिसे अब सरकार ने मान लिया है।


भविष्य का असर

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम बीमा सेक्टर को मजबूती देगा और ज्यादा लोग बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे। हालांकि, कंपनियों का अगला कदम यह तय करेगा कि ग्राहकों की बचत स्थायी रहेगी या धीरे-धीरे घटेगी।


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