पटना की सड़कों पर सोमवार को विपक्षी एकजुटता का बड़ा नज़ारा देखने को मिला। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत विपक्षी गठबंधन ‘भारत’ के कई दिग्गज नेता खुले वाहन पर सवार होकर निकले। उनके साथ हज़ारों कार्यकर्ता सड़क पर मौजूद थे। समर्थकों ने नेताओं का जोशीला स्वागत किया और लगातार नारेबाजी करते नज़र आए।
‘गांधी से अंबेडकर’ मार्च को मिला भारी समर्थन
यात्रा की शुरुआत गांधी मैदान से हुई, जहाँ नेताओं ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए। इस मार्च का प्रतीकात्मक नाम ‘गांधी से अंबेडकर’ रखा गया है। हालांकि प्रशासन से अनुमति न मिलने के कारण यात्रा को डाक बंगला क्रॉसिंग पर ही खत्म करने की संभावना जताई गई, जबकि योजना अंबेडकर पार्क तक जाने की थी।
वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी ने बढ़ाई रौनक
मार्च के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ तृणमूल सांसद यूसुफ पठान, सीपीआई नेता दीपांकर भट्टाचार्य, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सीपीएम नेता एमए बेबी, सीपीआई महासचिव डी. राजा और शिवसेना (उद्धव) के संजय राउत जैसे बड़े नेता भी मंच पर मौजूद रहे। इससे साफ़ संदेश गया कि विपक्ष आगामी चुनावों में एकजुट होकर मैदान में उतरने के मूड में है।
25 ज़िलों से गुज़री यात्रा, जनता का उमड़ा सैलाब
17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई यह ‘वोटर अधिकार यात्रा’ 110 विधानसभा क्षेत्रों और 25 ज़िलों से होकर गुज़री। कुल मिलाकर इस यात्रा ने 1300 किलोमीटर से अधिक दूरी तय की। रास्ते भर लोगों का भारी समर्थन देखने को मिला। कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारे लगाए और भाजपा सरकार पर निशाना साधा।
‘बिहार से उठी आवाज़ देश तक जाएगी’ – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान कहा कि यह आंदोलन केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे देश में गूंजेगा। उन्होंने दावा किया कि अब भाजपा को चुनाव में धांधली नहीं करने दी जाएगी। यात्रा में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, डीएमके नेता व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन समेत कई दिग्गज भी शामिल हुए।
आगामी विधानसभा चुनावों पर नज़र
विशेषज्ञों का कहना है कि यह यात्रा दरअसल महागठबंधन की चुनावी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार की जनता ने राहुल गांधी और महागठबंधन की इस पहल को ऐतिहासिक समर्थन दिया है, जिससे साफ़ है कि राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।