पंजाब में बाढ़ का पानी भले ही उतर गया हो, लेकिन असली चुनौती अब लोगों को सामान्य जीवन में वापस लाने की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने राहत कार्यों को नई दिशा देते हुए एक व्यापक स्वास्थ्य मिशन शुरू किया है, जिसमें हर परिवार तक सीधी पहुंच बनाने का संकल्प लिया गया है।
विशेष अभियान की शुरुआत
14 सितंबर से पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का सबसे बड़ा अभियान शुरू हुआ। इस पहल के तहत 2,303 बाढ़ प्रभावित गांवों में एक साथ स्वास्थ्य जांच और दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं। अब लोगों को अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, बल्कि डॉक्टरों और नर्सों की टीम दवाओं के साथ उनके दरवाजे तक पहुंच रही है।
सरकार मैदान में, केवल आदेश नहीं
इस बार सरकार ने केवल कागज़ी आदेशों तक सीमित रहने की बजाय खुद जमीनी स्तर पर काम करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, विधायक और पार्टी कार्यकर्ता सब मिलकर इस मिशन को सफल बना रहे हैं। पंचायत भवन, स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों को अस्थायी स्वास्थ्य शिविरों में तब्दील किया गया है।
हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं
गांव-गांव लगाए गए शिविरों में बुखार, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों की जांच और इलाज किया जा रहा है। आशा वर्कर घर-घर जाकर लोगों की सेहत पर नज़र रख रही हैं और जरूरत पड़ने पर दवाइयां तुरंत उपलब्ध कराई जा रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बीमारियों की रोकथाम पर भी जोर
सरकार केवल इलाज ही नहीं, बल्कि बीमारियों को रोकने पर भी ध्यान दे रही है। हर गांव में लगातार फॉगिंग की जा रही है और पानी के स्रोतों की जांच की जा रही है। जहां मलेरिया या डेंगू का खतरा है, वहां तुरंत छिड़काव किया जा रहा है।
मजबूत व्यवस्था, हर संसाधन उपलब्ध
इस मुहिम में 550 से ज्यादा एम्बुलेंस तैनात की गई हैं। 85 प्रकार की दवाइयां और 23 मेडिकल उपकरण पहले से तैयार रखे गए हैं। डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और फार्मासिस्ट लगातार सेवा में जुटे हुए हैं।
जनता का विश्वास जीतती सरकार
लोगों का कहना है कि पहली बार उन्हें ऐसा महसूस हुआ है कि सरकार केवल वादे नहीं कर रही, बल्कि उनके बीच मौजूद है। स्वास्थ्य सेवाएं और राहत हर गली और घर तक पहुंच रही हैं। यही वजह है कि लोग खुद कह रहे हैं—यह सरकार सचमुच सेवा भाव से काम कर रही है।