गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के बाढ़ प्रभावित गाँवों में जहाँ इंसानी ज़िंदगी पटरी से उतरी, वहीं मवेशियों पर भी गहरा असर पड़ा है। प्रशासनिक रिपोर्ट के मुताबिक, 400 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है और हजारों मवेशी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
दूध उत्पादन में बड़ी गिरावट
पानी उतरने के बाद सबसे बड़ी दिक़्क़त सामने आई है – हरा चारा पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। बढ़ते तापमान और गीले माहौल की वजह से पशु बीमार पड़ रहे हैं। नतीजा यह कि दूध उत्पादन लगभग 20% घट गया है। यह किसानों की आमदनी पर सीधा असर डाल रहा है।
गुरदासपुर की ताज़ा स्थिति
गुरदासपुर जिले में करीब 69 हज़ार पशु बाढ़ से प्रभावित माने जा रहे हैं। इनमें से अब तक 300 से ज़्यादा मवेशियों और 28 हज़ार चूचों की मौत दर्ज हुई है। पशुपालन विभाग की 42 टीमें लगातार गाँवों में कैम्प लगाकर पशुओं का इलाज कर रही हैं। अब तक 7,800 से ज्यादा पशुओं का इलाज किया जा चुका है।
पठानकोट में भी हालात गंभीर
पठानकोट जिले के लगभग 90 गाँवों पर बाढ़ का असर पड़ा। इनमें 42 गाँवों में स्थिति बेहद खराब है। विभाग ने बताया कि यहाँ 100 से ज्यादा पशुओं और लगभग 5,000 पोल्ट्री की मौत हो चुकी है। आठ विशेष टीमें दिन-रात काम कर रही हैं और अब तक 5,400 से अधिक पशुओं का इलाज कर चुकी हैं।
नमी और मौसम का दबाव
विशेषज्ञ मानते हैं कि बाढ़ के बाद बढ़ी नमी और मौसम का बदलाव पशुओं के लिए बड़ा खतरा है। ‘गल घोटू’ जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसी कारण विभाग ने वैक्सीनेशन को मुफ्त कर दिया है। पहले इसके लिए प्रति पशु 5 रुपये लिए जाते थे।
चारे की किल्लत बढ़ी
सबसे बड़ी समस्या है हरे चारे की कमी। किसान अब मवेशियों को साइलज और सूखा चारा खिला रहे हैं। इससे पाचन संबंधी बीमारियाँ और खुर गलने जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। यही वजह है कि दूध उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है।
पशुपालकों के लिए सलाह
पशु चिकित्सकों ने लोगों से अपील की है कि बीमार पशुओं का तुरंत इलाज करवाएँ। खुर गलने की स्थिति में प्रभावित हिस्से को लाल दवा और बीटाडीन से साफ करने की सलाह दी गई है। साथ ही, अम्लीय तत्वों से बचाने के लिए प्रति पशु 60 ग्राम मीठा सोडा देने की सलाह दी गई है।
सरकार की पहल
सरकार और विभाग ने साफ किया है कि सभी दवाइयाँ और इलाज पूरी तरह मुफ्त होगा। प्रभावित गाँवों में लगातार मेडिकल कैम्प लगाए जा रहे हैं। पशुपालकों को भरोसा दिलाया गया है कि हर संभव मदद दी जाएगी।