पंजाब में राशन कार्ड कटने के मसले ने सियासत को गरमा दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे भाजपा सरकार पर वार किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गरीबों का हक छीन रही है और लाखों लोगों को PDS यानी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से बाहर किया जा रहा है।
कितने कार्ड हुए प्रभावित?
मुख्यमंत्री के मुताबिक, केंद्र ने पंजाब में 8.02 लाख से ज्यादा राशन कार्ड रद्द करने का आदेश दिया है। इसका सीधा असर लगभग 32 लाख लोगों पर पड़ेगा। मान ने कहा कि पंजाब सरकार किसी भी कीमत पर गरीबों को राशन से वंचित नहीं होने देगी।
“डेटा इकट्ठा करने की साजिश”
मान ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया कि वह लोगों का निजी डेटा इकट्ठा कर रही है। उन्होंने कहा –
“हमारी 1000 रुपये वाली योजना में हम महिलाओं से आधार, पैन या राशन कार्ड नहीं मांगते। लेकिन भाजपा हर स्कीम में यही कागज क्यों मांगती है? जनता का डेटा क्यों इकट्ठा किया जा रहा है?”
शर्तों पर सवाल
मुख्यमंत्री ने केंद्र के तय मानदंडों को लेकर कई उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी परिवार के नाम पर चार पहिया वाहन है, 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार है, ढाई एकड़ से ज्यादा खेती है या घर का कोई सदस्य सरकारी नौकरी करता है, तो राशन कार्ड काट दिया जाएगा।
उन्होंने पूछा – “अगर परिवार का एक सदस्य नौकरी करता है और बाकी लोग गांव में रहते हैं तो पूरे परिवार को राशन से कैसे वंचित किया जा सकता है?”
“मेरे रहते राशन कार्ड नहीं कटेंगे”
भगवंत मान ने भरोसा दिलाया कि पंजाब में किसी भी लाभार्थी का राशन कार्ड उनके रहते नहीं कटेगा। उन्होंने बताया कि इस मसले पर वह पहले ही केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं और 6 महीने का समय मांगा है ताकि सही तरीके से तस्दीक की जा सके।
तस्दीक का हाल
फिलहाल पंजाब में 1.53 करोड़ लोगों को राशन मिल रहा है। इनमें से 1.29 करोड़ राशन कार्डों की तस्दीक राज्य सरकार ने कर ली है। बाकी कार्डों की जांच अभी बाकी है। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि जब प्रक्रिया जारी है तो केंद्र सरकार इतने बड़े पैमाने पर कार्ड रद्द कैसे कर सकती है।
सियासी संदेश साफ
CM मान का बयान केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं बल्कि एक बड़ा सियासी संदेश भी है। विधानसभा चुनावों से पहले राशन कार्ड का मुद्दा सीधे गरीब और मध्यम वर्ग तक पहुंचता है। यही वजह है कि मान ने भाजपा को “वोट चोर” से आगे बढ़कर “राशन चोर” तक कह दिया।