आम उपभोक्ताओं और मरीजों के लिए बड़ी राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि 22 सितंबर 2025 से दवाइयों और मेडिकल प्रोडक्ट्स की कीमतें नई जीएसटी दरों के हिसाब से तय होंगी। यानी मरीजों को अब महंगी दवाइयों का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।
एनपीपीए की सख्ती
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने कंपनियों को आदेश दिए हैं कि वे दवाइयों और हेल्थ प्रोडक्ट्स की एमआरपी तुरंत संशोधित करें। टैक्स में हुई कटौती का सीधा असर कीमतों पर दिखना चाहिए। इसके लिए कंपनियों को नई दरें डीलरों, रिटेलर्स और ड्रग कंट्रोलर्स को बताना अनिवार्य होगा।
पुराने स्टॉक पर नहीं होगी दिक्कत
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि नई कीमतें लागू होने के बाद पुराने स्टॉक को वापस बुलाने या दुबारा लेबल करने की जरूरत नहीं होगी। मतलब, बाजार में उपलब्ध दवाइयां भी नई दरों के हिसाब से ही बिकेंगी।
जनता को मिलेगी जानकारी
कंपनियों को यह भी कहा गया है कि वे अखबारों और मीडिया के जरिए जनता को नई दरों की जानकारी दें। इसका मकसद यह है कि लोग तुरंत जान सकें कि कौन-से प्रोडक्ट अब सस्ते हो चुके हैं।
किन उत्पादों पर असर पड़ेगा?
- 33 जेनेरिक दवाइयों पर जीएसटी अब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।
- मेडिकल ड्रेसिंग, पत्तियां और प्लास्टर पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
- शैंपू, टूथपेस्ट, टैलकम पाउडर, हेयर ऑयल और शेविंग क्रीम जैसे रोजमर्रा के प्रोडक्ट्स पर जीएसटी 18% से घटाकर केवल 5% रह गया है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
अब तक दवाइयों की कीमतें सामान्य कानूनों के दायरे में नहीं आती थीं। इसी वजह से कई बार मरीजों को टैक्स कटौती का फायदा नहीं मिलता था। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि हर हाल में टैक्स घटने का सीधा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा।
कब से मिलेगा फायदा?
नई दरें 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू होंगी। इसके बाद मरीजों को इलाज का खर्च पहले से काफी कम लगेगा और रोजमर्रा की हेल्थकेयर चीजों पर भी जेब हल्की नहीं करनी पड़ेगी।
विशेषज्ञों की राय
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह फैसला आने वाले समय में लोगों की मेडिकल खर्च से जुड़ी परेशानियों को काफी हद तक कम करेगा। यह कदम हेल्थकेयर सेक्टर को सुलभ और किफायती बनाने की दिशा में अहम साबित होगा।