देश में बढ़ते आवारा कुत्तों के हमलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि ज्यादातर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों (Chief Secretaries) को 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी
सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने कहा कि आवारा कुत्तों के हमले देश की छवि को “विदेशों के सामने शर्मनाक” बना रहे हैं। अदालत ने यह भी कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि अधिकांश राज्यों ने कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है।
जस्टिस नाथ ने सख्त लहजे में कहा, “लगातार घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासन सो रहा है। ऐसी खबरें विदेशों में भारत की गलत तस्वीर पेश कर रही हैं।”
कोर्ट ने दिया अंतिम अल्टीमेटम
अदालत ने कहा कि सिर्फ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जबकि बाकी ने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कंप्लायंस एफिडेविट जमा नहीं किया गया तो जुर्माना और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जस्टिस नाथ ने यह भी कहा कि यदि राज्यों ने आदेशों का पालन नहीं किया, तो अगली सुनवाई कोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित की जाएगी, ताकि सबकी जवाबदेही सार्वजनिक रूप से तय हो सके।
कैसे शुरू हुआ यह मामला?
यह पूरा मामला टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट “In a City Hounded by Strays, Kids Pay The Price” से शुरू हुआ था, जिसमें आवारा कुत्तों के हमलों से बच्चों की मौतों पर चिंता जताई गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और 28 जुलाई को सुनवाई शुरू की थी।
11 अगस्त को कोर्ट ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखा जाए और उन्हें बिना वैक्सीनेशन छोड़ा न जाए।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस क्या कहती हैं?
बाद में 22 अगस्त को अदालत ने यह स्पष्ट किया कि स्टेरिलाइज़ेशन, डीवर्मिंग और वैक्सीनेशन के बाद ही कुत्तों को उनके मूल इलाके में छोड़ा जा सकता है।
साथ ही, कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगाई जाए और इसके लिए विशेष फीडिंग ज़ोन बनाए जाएं।
कोर्ट का सख्त संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि अब किसी भी राज्य की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत का कहना है कि देशभर में एक समान नीति (Uniform Policy) बनानी होगी ताकि नागरिकों और पशुओं दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।