पंजाब के सरकारी स्कूलों में शुरू हुई नई ‘शिक्षा क्रांति’, बच्चों की पढ़ाई का तरीका बदला

पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में शिक्षा व्यवस्था में बड़े और सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सरकार ने सरकारी स्कूलों में फिनलैंड के मशहूर हैप्पीनेस-फर्स्ट मॉडल को अपनाया है, जो बच्चों को तनावमुक्त और खुशहाल माहौल में पढ़ाने पर जोर देता है। यह मॉडल रट्टा मार शिक्षा को खत्म करके बच्चों को खेल, अनुभव और प्रैक्टिकल सीख के जरिए आगे बढ़ने का मौका देता है।


फिनलैंड में हो रही शिक्षकों की ट्रेनिंग

पंजाब सरकार ने शिक्षा सुधार को जमीन पर उतारने के लिए 200 से ज्यादा प्राथमिक शिक्षकों को फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ तुर्कू में 15 दिन की विशेष ट्रेनिंग के लिए भेजा है।
पहला बैच 18 अक्टूबर 2024, दूसरा 15 मार्च 2025 और तीसरा बैच 15 नवंबर 2025 को रवाना किया गया।

यह पहल बताती है कि सरकार सरकारी स्कूलों को विश्व-स्तरीय बनाना चाहती है, न कि केवल वादे करना। फिनलैंड से लौटे शिक्षकों ने स्कूलों में पढ़ाई का पूरा माहौल बदल दिया है।


छोटे ब्रेक से बच्चों में आया बड़ा बदलाव

फिनलैंड में पढ़ाई के बीच छोटे-छोटे ब्रेक देना सामान्य है। इस सीख को पंजाब के सरकारी स्कूलों ने अपनाया है।
अब हर दो पीरियड के बाद बच्चों को कुछ मिनट का छोटा ब्रेक दिया जाता है जिससे वे फिर से ऊर्जा और ध्यान के साथ कक्षा में लौटते हैं।

हेड टीचर लवजीत सिंह ग्रेवाल बताते हैं कि इससे बच्चों की एकाग्रता और सीखने की क्षमता तेजी से बढ़ी है।


किताबों से बाहर सीख: खेत, प्राकृतिक स्थल और लाइफ स्किल्स

सरकारी स्कूलों में अब शिक्षा सिर्फ चार दीवारों तक सीमित नहीं है।

  • बच्चों को खेतों में ले जाकर धान की रोपाई दिखाई गई।
  • ईवीएस पढ़ाने के लिए छात्रों को बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कराया गया, ताकि वे खुद देख सकें कि पेड़ों की कमी से क्या असर पड़ता है।

इसके साथ, फिनलैंड की तरह लाइफ स्किल्स सिखाने की शुरुआत भी हो चुकी है।
अब लड़कियाँ वेल्डिंग और लड़के सिलाई जैसे कौशल सीखेंगे ताकि पुरानी सोच टूटे और सभी बच्चों को बराबरी का अवसर मिले।


घर और स्कूल का मजबूत रिश्ता: मॉम वर्कशॉप की शुरुआत

पटियाला के कपूरी गाँव में हेड टीचर जगजीत वालिया ने ‘मॉम वर्कशॉप्स’ शुरू की हैं।
इसमें महिलाएँ—जिनमें से कई शादी के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी थीं—बच्चों के साथ ड्राइंग, पहेलियाँ और अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेती हैं।

इससे बच्चों, माता-पिता और स्कूल के बीच मजबूत जुड़ाव बना है।


तनाव-मुक्त पढ़ाई का असर: बढ़ी हाजिरी, घटा बोझ

सरकारी स्कूलों में अब नोटबुक भरवाने के बजाय गतिविधियों पर ध्यान दिया जा रहा है।
मिट्टी के मॉडल, रंग भरना, कहानी आधारित सीख और खेल-कूद ने बच्चों की हाजिरी को काफी बढ़ाया है।

क्लस्टर हेड टीचर कविंदर कुमार के अनुसार, फिनलैंड ने उन्हें सिखाया कि खुश बच्चे ही ज्यादा सीखते हैं।

चिल्ड्रन डे पर बच्चों को खुश करने के लिए ‘जंबो’ नाम का गुब्बारा छात्र भी बनाया गया, जिससे छोटे बच्चे स्कूल आने को उत्साहित हुए।


दीर्घकालिक योजना: पूरे पंजाब में फैलेगा नया मॉडल

शिक्षा सचिव अनिंदिता मित्रा ने बताया कि जनवरी 2026 से फिनलैंड ट्रेनिंग लेकर लौटे शिक्षक अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।
फिनलैंड के साथ स्टडी मटीरियल साझा करने की योजना भी बनाई जा रही है।

साथ ही, पंजाब के सरकारी स्कूलों में बच्चों की क्षमता पहचानने के लिए साइकोमेट्रिक लैब भी स्थापित की जा रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *