भारतीय रिज़र्व बैंक ने शुक्रवार को आम जनता और उद्योग जगत को राहत देते हुए रेपो रेट में कमी का ऐलान कर दिया। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस बार प्रमुख ब्याज दर 5.50% से घटाकर 5.25% कर दी गई है। इससे बैंकिंग सेक्टर में उधार लेने की लागत कम हो जाएगी और ग्राहकों के होम लोन से लेकर कार लोन तक की ईएमआई में राहत मिलने की उम्मीद है।
2025 में अब तक कुल 1.25% की कटौती
आरबीआई इस साल कई बार महंगाई और आर्थिक संकेतों का आकलन कर चुका है और फरवरी से अब तक रेपो रेट में कुल 1.25 प्रतिशत अंक की कटौती हो चुकी है। लगातार घटती रिटेल महंगाई ने केंद्रीय बैंक को दरों में ढील देने के लिए प्रेरित किया। इससे पहले पिछली दो बैठकों में रेपो रेट को 5.50% पर ही बनाए रखा गया था।
क्या है रेपो रेट और क्यों होता है इसका असर?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से अल्पकालिक ऋण लेते हैं। जब यह दर घटती है, तो बैंकों को सस्ता फंड मिलता है और वे ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध करा पाते हैं। इसी वजह से रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर आपकी ईएमआई पर देखने को मिलता है।
एमपीसी का रुख रहेगा ‘निरपेक्ष’
गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति का रुख फिलहाल निरपेक्ष (Neutral) रखा गया है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की स्थिति के आधार पर ब्याज दरों में और भी संशोधन किया जा सकता है। समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के पक्ष में वोट दिया।
GDP अनुमान बेहतर, महंगाई अनुमान घटा
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7.3% कर दिया है। वहीं चालू वर्ष की खुदरा महंगाई का अनुमान कम करके 2% कर दिया गया है। यह दर्शाता है कि आर्थिक स्थिरता के बीच विकास की गति मजबूत होती दिख रही है।
विशेषज्ञों में था मतभेद
नीति बैठक से पहले अर्थशास्त्रियों के बीच दरों को लेकर अलग-अलग राय थी। कई विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि मजबूत GDP और नियंत्रित महंगाई को देखते हुए आरबीआई दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। वहीं उद्योग जगत का मानना था कि निवेश और खपत बढ़ाने के लिए दर कटौती जरूरी है।
ग्राहकों के लिए कब आएगी राहत?
हालाँकि RBI ने दरें घटा दी हैं, लेकिन इसका लाभ सीधे ग्राहकों तक कब पहुंचेगा, यह बैंकों की अगली घोषणा पर निर्भर करेगा। उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में बैंक अपनी लोन दरों में कमी की जानकारी देंगे, जिससे उपभोक्ताओं का बोझ हल्का होगा।