गोवा में लंबे समय तक ऐसी शिकायतें रही हैं कि स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाती थीं। कई गांवों में छोटी बीमारी के लिए भी मरीजों को शहर के बड़े अस्पतालों का रुख करना पड़ता था। समय, खर्च और लंबी दूरी—ये तीनों बातें आम नागरिक के लिए इलाज को मुश्किल बना देती थीं। कई सरकारों ने सुधार के वादे किए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर बदलाव धीमे ही नजर आए।
स्वास्थ्य सेवाओं को घर तक पहुंचाने की कोशिश
हाल के समय में राज्य में एक नई पहल दिखाई दी है। विचार यह था कि मरीज अस्पताल तक न जाए, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं सीधे लोगों के पास पहुंचें। इसी सोच के साथ बड़े पैमाने पर हेल्थ कैंप आयोजित किए गए, जिनका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना था।
राज्यभर में अब तक 800 से अधिक हेल्थ कैंप लगाए जा चुके हैं, जहां 20,000 से ज्यादा मरीजों की जांच और इलाज किया गया है। कई जगह बुजुर्गों को घर के पास ही दवा मिली, बच्चों की बेसिक जांच तुरंत हुई और महिलाओं को ब्लड प्रेशर जैसी आवश्यक सुविधाएं बिना शुल्क प्रदान की गईं।
लोगों को मिला त्वरित और सुलभ इलाज
पहले जहां मरीजों को सरकारी अस्पतालों में लंबी लाइनों और डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ता था, वहीं हेल्थ कैंप में उन्हें कम समय में आवश्यक सुविधा मिल रही है। इस पहल ने उन लोगों की भी मदद की है जो यात्रा करने में असमर्थ थे या जिनके लिए अस्पताल पहुंचना आर्थिक रूप से भारी पड़ता था।
इन कैंपों के जरिए न सिर्फ बुनियादी उपचार उपलब्ध कराया गया, बल्कि लोगों को स्वास्थ्य जागरूकता से भी जोड़ा गया। कई परिवारों ने बताया कि यह सेवा उनके लिए राहत बनकर आई है क्योंकि अब सामान्य बीमारियों के लिए लंबा सफर तय नहीं करना पड़ता।
सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बढ़ा भरोसा
काफी समय से स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर लोगों में असंतोष रहा था। दवा की अनुपलब्धता, डॉक्टरों की कमी और अस्पतालों का दूर होना बड़ी समस्याएं थीं। लेकिन हेल्थ कैंप जैसी पहल ने आम लोगों में फिर से भरोसा पैदा किया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उनके लिए उपलब्ध हैं।
पंचायत चुनावों के नजदीक आने के साथ, ग्रामीण इलाकों में लोग इस बदलाव को लेकर चर्चा कर रहे हैं। कई नागरिकों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ना उनके लिए बड़ा बदलाव है और इसका असर उनके जीवन पर साफ दिखाई देता है।
ग्रामीण इलाकों में बढ़ी स्वास्थ्य जागरूकता
कैंपों के जरिए न केवल इलाज हुआ बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी भी दी गई। लोगों को बताया गया कि कौन-सी दवाएं निशुल्क मिलती हैं, ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी जांचें कितनी जरूरी हैं और कब किस विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
इससे पहले लोगों में यह जानकारी कम थी और स्वास्थ्य संबंधी कदम अंतिम समय पर उठाए जाते थे। अब कई परिवार समय पर जांच करवा रहे हैं और बीमारी बढ़ने से पहले ही उपचार शुरू कर रहे हैं।
हजारों परिवारों के लिए हुआ वास्तविक सुधार
गोवा में बड़ी संख्या में परिवार महसूस कर रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी आसान की है। जब डॉक्टर पास आते हैं, जांचें सुलभ हो जाती हैं और दवाएं आसानी से मिलती हैं, तो इलाज बोझ नहीं रह जाता।
राज्य में स्वास्थ्य सुधार के ये प्रयास अब लगातार बढ़ रहे हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बदलाव की पहचान की जा सकती है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में जो सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, उनका असर सीधा लोगों तक पहुंचा है।