डॉलर के आगे कमजोर हुआ रुपया: बढ़ सकते हैं खर्च, बढ़ेगी महंगाई

भारतीय रुपया बुधवार को नए रिकॉर्ड स्तर पर गिरकर 90 रुपये के पार निकल गया। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 90.13 तक पहुंच गई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसका मतलब है कि अब एक डॉलर खरीदने के लिए पहले से ज्यादा रुपये चुकाने होंगे। यह गिरावट सिर्फ आर्थिक रिपोर्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि सीधे-सीधे जनता की जेब पर असर डालने वाली बड़ी खबर है।


रुपया गिरा तो महंगे होंगे आयातित सामान

आपकी रोज़मर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली कई चीज़ें भारत बाहर से खरीदकर लाता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल होता है, इसलिए जैसे ही रुपये की वैल्यू कम होती है, आयात महंगा हो जाता है। जब सरकार और कंपनियां महंगे दाम पर सामान खरीदती हैं, तो उसी अनुपात में उसका असर बाजार में कीमतों पर दिखता है।

भारत अपने लिए ज्यादातर कच्चा तेल और खाद्य तेल दूसरे देशों से आयात करता है। कच्चा तेल महंगा होने का मतलब है पेट्रोल, डीज़ल और LPG सिलिंडर की कीमतें बढ़ जाएंगी। इससे ट्रांसपोर्टेशन लागत भी बढ़ेगी, जिसका असर बाकी उत्पादों पर भी पड़ेगा। गरीब और मध्यम वर्ग इसके चलते ज्यादा प्रभावित होंगे।


इलेक्ट्रॉनिक्स और घर चलाने वाली चीजें होंगी महंगी

स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी, फ्रीज और एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा भारत में बनता तो है, लेकिन इनकी मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले कई कंपोनेंट्स विदेशों से आते हैं। अब जब उन्हें अधिक कीमत पर मंगाना पड़ेगा, तो कंपनियां अपना खर्च निकालेगी और इसका नतीजा उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों के रूप में सहना पड़ेगा।


विदेश में पढ़ाई का बजट बिगड़ेगा

विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए रुपये का गिरना बड़ा झटका है। अगर पहले 80 रुपये प्रति डॉलर की दर से 50,000 डॉलर की सालाना फीस लगभग 40 लाख रुपये पड़ती थी, तो अब उसी फीस के लिए लगभग 45 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे। यानी बिना किसी बदलाव के केवल मुद्रा की कमजोरी के कारण ही 5 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ।

इतना ही नहीं, एजुकेशन लोन की EMI भी बढ़ने वाली है। रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने से छात्रों को 12–13% तक ज्यादा EMI देनी पड़ सकती है।


कार, EV और जूलरी के दामों में भी बढ़ोतरी के संकेत

लग्जरी कारों और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में कई पार्ट्स आयात से आते हैं। रुपये की गिरावट से इन्हें खरीदना भी महंगा होगा। इसके अलावा सोना और चांदी की कीमतों पर भी प्रभाव पड़ेगा। भारत बड़ी मात्रा में गोल्ड और सिल्वर आयात करता है, और आयात महंगा होने पर जूलरी की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। शादी-ब्याह के सीजन में इसका असर और ज्यादा महसूस होगा।


किस वजह से टूटा रुपया?

1. भारत–अमेरिका व्यापार बातचीत अटकी

ट्रेड डील को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाए जाने से स्थिति और खराब हुई है।

2. विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया

मजबूत GDP आंकड़ों के बावजूद विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से धन निकाल रहे हैं। साल 2025 में अब तक 17 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश बाहर जा चुका है।

3. IMF की नई श्रेणी में पहुंचा भारत का एक्सचेंज सिस्टम

IMF ने भारत के मुद्रा प्रबंधन सिस्टम को ‘स्टेबलाइज्ड’ से बदलकर ‘क्रॉल-लाइक’ श्रेणी में रखा है। इसका संकेत है कि RBI रुपये की रक्षा कम और उसे मार्गदर्शन ज्यादा दे रहा है।

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